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बुधवार, 29 सितंबर 2010

7 स्थल जहाँ विचारों को मिलती है "स्वतंत्रता"

india-flag
स्वतंत्रता के 60 से अधिक वर्ष गुजर जाने के बाद आम आदमी के लिए अपनी बात कहने के स्वतंत्र माध्यम कितने है? लोकतंत्र का चौथा खंभा कहे जाने वाले कथित जन जागरण के माध्यमों जैसे कि अखबारों और टीवी समाचार चैनलों को अब लोगों की आवाज नहीं कहा जा सकता है.

तो क्या आज "वाणी स्वतंत्रता" जैसी बातें मात्र "किताबी" रह गई हैं? सौभाग्य से ऐसा नहीं है. आज भी कम से कम 7 ऐसे माध्यम अथवा जगहें उपलब्ध हैं जहाँ पर आप खुलकर अपने मन की बात रखते हैं. बस इस और कभी हमारा ध्यान नहीं जाता!

ये वे स्थान है जहाँ एक भारतवासी मुखर हो कर अपनी बात रखता है और बहस करता है. सोच कर देखिए -

कटिंग चाय की केटली
teastall
आम से लेकर खास आदमी तक इस पेय को चाव से पीता है - इसे चाय कहते हैं. और एक कटिंग चाय की प्याली उपलब्ध करवाती है सडक के किनारे लगी केटली. केटली जहाँ मात्र चाय ही नहीं पी जाती है बल्कि क्रिकेट से लेकर विदेशनीति तक के विषयों पर खुलकर बहस होती है और मुद्दों की चीरफाड़ आम बात है.


ब्लॉग
blogging
सम्पादकों की कैंची से मुक्त और प्रकाशक की पसंद से स्वतंत्र है यह माध्यम. यह आपका अपना अखबार भी है और डायरी भी. बस मन की बात लिखते जाइए और अब भारतीय अपनी बात बहुत ही मुखरता से रख भी रहे है. नहीं मात्र अंग्रेजी में नहीं, बल्कि हर भाषा में.


ट्विटर
twitter
और ब्लॉग का संक्षिप्त स्वरूप है ट्विटर रूपी माइक्रोब्लॉग. और ब्लॉग से कहीं अधिक शक्तिशाली भी. शक्तिशाली इसलिए क्योंकि आपकी कही बात तुरंत आपके पाठक तक पहुँचती है चाहे वह अपने पीसी के पास हो या ना होगा. क्या नेता क्या अभिनेता आज हर कोई इस माध्यम को अपना रहा है. भारतीयों का ट्विटर पर चहकना जारी है. परंतु फिर भी आज ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले देशों की सूचि में हम 8वें स्थान पर हैं.


दीवारें
wall-message
स्वीकार करते हैं कि यह एक गलत तरीका है, मगर अभिव्यक्ति का माध्यम तो फिर भी है ही. दीवारें ना-ना प्रकार के विज्ञापनों से ही नहीं, संदेशों से भी रंगी जा रही है और शायद यह सिलसिला जारी रहेगा.


कार्टून
cartoon
प्रिंट मीडिया पर भले ही पक्षपात व खबरें बेचने का आरोप लगता हो या अखबारों व टीवी चैनलों की विश्वसनियता बुरी तरह से गिरी हो परंतु कार्टून अभी भी अपनी धार बनाए हुए है अतः आम भारतीय खूद को उनसे जोड़ पा रहा है.


एसएमएस
sms
एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल तक मामूली कीमत चुका कर प्रेषित होने वाले लघु संदेश सुचनाएं ही नहीं पहुँचा रहे है, वे विचारों को फैलाने का काम भी कर रहे हैं. यकीन ना हो तो अपना मोबाइल खंगाल लें. आपके किसी मित्र ने "अफज़ल" या "राम सेना" से संबंधित कोई संदेश अग्रेषित किया होगा.


सोश्यल नेटवर्किंग साइटें
social-networking
फेसबुक, ओर्कुट, मायस्पेस, यूट्यूब... सूचि लम्बी है. सोश्यल नेटवर्किंग साइटें ना केवल मित्रों को और दूर बैठे रिश्तेदारों को आपस में जोड़ती है बल्कि ये साइटॆं विचारों को फैलाने और बहस करने का माध्यम भी बनती जा रही है. आज यहाँ रोज तस्वीरें, वीडियो, कडियाँ आदि पोस्ट की जाती है. लोग बहस करते हैं. लडाईयाँ भी होती है पर विचारों का रैला चलता रहता है.

3 टिप्‍पणियां:

  1. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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