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बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

दोपहर में महिलाओं से न लें पंगा नहीं तो...

पुरुषों के लिए एक बहुत ही जरूरी सलाह। वे दोपहर के वक्त महिलाओं के साथ किसी भी कीमत पर उलझने से बचें। नहीं तो इस समय महिलाओं के साथ बहसबाजी में उन्हें मुंह की खानी पड़ सकती है।

जी हां, लोगों के मिजाज पर किए गए एक सर्वे के नतीजे पर यकीन करें तो पुरुषों को इस सलाह पर जरूर अमल करना चाहिए। वरना, उन्हें महिलाओं से मात मिल सकती है। अध्ययन के नतीजों में यह भी कहा गया है कि यदि महिलाएं पुरुषों से कुछ कहना चाहती हैं तो उन्हें शाम के छह बजे तक इंतजार करना चाहिए, क्योंकि यही वह समय है जब पुरु ष अपने करीबी लोगों की मांगों को पूरी करते हैं।
ब्रिटेन में हुए इस अध्ययन में 1,000 पुरु षों और महिलाओं को शामिल किया गया था। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जब किसी महिला को तनख्वाह में इजाफे या प्रोन्नति की बात अपने बॉस से कहनी हो तो वह यह काम सुबह में न कर दोपहर एक बजे करे। इस वक्त उनकी मांगें पूरी होने की ज्यादा संभावना रहती है।
नतीजों के मुताबिक, दोपहर एक बजे के बाद का समय ऐसा होता है जब प्रबंधक अपने कर्मचारियों की मांग के प्रति बहुत उदार होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘महिलाएं यह जानकर काफी खुश होंगी कि मूड में होने वाले उतार-चढ़ाव से सिर्फ वहीं पीड़ित नहीं हैं, बल्कि ऐसा पुरुषों में भी देखा जाता है।’

पत्नी से प्रताड़ित डॉक्टर फांसी पर झूला

कानपुर। उन्नाव के सरकारी अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर ने अपनी पत्नी से प्रताड़ित होकर फांसी लगा आत्म हत्या कर ली। बहन ने जब उसके कमरे में देखा तो वह पंखे से झूल रहा था। चीख सुनकर परिवार के सभी लोग वहां पुहंच गए।
डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि वह अपनी पत्नी के व्यवहार से मानसिक रुप से परेशान होकर ऐसा कदम उठा रहा है। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों से पूंछतांछ करने के बाद शव पोस्टमार्टम को भेज दिया है। घटना नजीराबाद थाना क्षेत्र की है। जानकारी के मुताबिक हर्ष नगर के मकान नंबर 42 108 में रहने वाले शंकर सिंह का पुत्र सिद्धार्थ (36) सरकारी डॉक्टर था और उन्नाव जिले के सिंकदरापुर सौरासी गांव के प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में मुख्य चिकित्सक के रुप में कार्यरत था।
उसकी पत्नी रेनू नगर के एसएनसेन इंटर कालेज में टीचर है और काफी समय से अपने मायके किदवई नगर में रह रही है। पिता शंकर सिंह का आरोप है कि उनकी बहू रेनू के किसी व्यक्ति से अवैध संबंध है। जिसका बेटा सिद्धार्थ हमेशा विरोध करता था। इसी विरोध के कारण विगत वर्ष अक्टूबर माह में रेनू ने सिद्धार्थ का रोड एक्सीडेंट भी करा दिया था। जिससे सिद्धार्थ के दोनों पैरों में फैक्चर होने के कारण सरिया डाली गयी थी।शंकर सिंह का यह भी आरोप है कि रेनू व साथ पढ़ाने वाली उसकी सहेली किरन दोनों उनके बेटे को फोन पर अक्सर अपाहिज कह कर धमकया करती थीं। जिस कारण सिद्धार्थ मानसिक रुप से बहुत परेशान रहता था। आज सुबह जब सिद्धार्थ काफी देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकला तो बेटी ने दरवाजा खोलकर अंदर देखा और फांसी से झूलता भाई का शव देखकर वह चीख पड़ी। सिद्धार्थ अपने तीन भाइयों में सबसे छोटा था। उसकी चार बहने भी है। सिद्धार्थ की मौत के बाद पूरे परिवार में कोहराम मच गया। वहीं पति की मौत की खबर मिलने के बाद भी रेनू अपने मायके से नहीं आयी।