ar, kullu का कहना है :
टीवी चेनलोन पर परोसी जा रही असलीलता को भी इसी चार्टर मे शामिल कर लिया जाता तो अओर ज़यादा बहतेर होता यह आज की सबसे ज़्यादा ज्वलंत समस्या है जो हमारी पीढ़ियों को जिद्दी और उज्जदद बना रही है हमारे भाभी करन्धार अपने कंधो पर बुज़ुर्गो बो हाथ नहीं रखना चाहते क्यो की बहाँ से उन्हे जो नसीहतों का सामना करना पड़ता है यह सभी कुछ नेट व दूर्द्रशन पर परोसी जा रही समीग्री का प्रतिफल है बिगयपन में एस्टेमाल की जाने बलि भाषा ब चलचित्र क्या बनाने बाले भी अपने परिवार के साथ देख सकते हैं हो सकता फिल्मों के बारे में तो चुनने का अधिकार है की अमुक देखें या ना देखें पर टीवी पर परोसे जाने वाली समीग्री आपको देखनी ही पड़ेगी फिर चाहे आप समाचार ही क्यों न देखें .
टीवी चेनलोन पर परोसी जा रही असलीलता को भी इसी चार्टर मे शामिल कर लिया जाता तो अओर ज़यादा बहतेर होता यह आज की सबसे ज़्यादा ज्वलंत समस्या है जो हमारी पीढ़ियों को जिद्दी और उज्जदद बना रही है हमारे भाभी करन्धार अपने कंधो पर बुज़ुर्गो बो हाथ नहीं रखना चाहते क्यो की बहाँ से उन्हे जो नसीहतों का सामना करना पड़ता है यह सभी कुछ नेट व दूर्द्रशन पर परोसी जा रही समीग्री का प्रतिफल है बिगयपन में एस्टेमाल की जाने बलि भाषा ब चलचित्र क्या बनाने बाले भी अपने परिवार के साथ देख सकते हैं हो सकता फिल्मों के बारे में तो चुनने का अधिकार है की अमुक देखें या ना देखें पर टीवी पर परोसे जाने वाली समीग्री आपको देखनी ही पड़ेगी फिर चाहे आप समाचार ही क्यों न देखें .