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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

अध्यादेश लागू, आत्महत्याएँ जारी

ग्रामीण गरीबों को छोटे ऋण देने वाली संस्थाओं या माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनियों की अनियमितताओं से निपटने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार का अध्यादेश लागू हो गया है.
इसके अंतर्गत ऋण की वसूली के लिए किसी को डराना-धमकाना एक अपराध बन गया है. इसके लिए तीन वर्ष क़ैद की सज़ा हो सकती है और एक लाख रूपए जुर्माना हो सकता है.

इस अध्यादेश पर राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने शुक्रवार को हस्ताक्षर किए और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री वी वसंता कुमार ने कहा कि इस पर तुरंत अमल शुरू हो जाएगा.
इस बीच राज्य में माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनियों से ऋण लेकर परेशानियाँ झेलने वाले लोगों की आत्महत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा है.
गुरुवार और शुक्रवार दो और व्यक्तियों ने डराने-धमकाने से तंग आकर अपनी जान ले ली.

आत्महत्याएँ जारी

एक घटना शुक्रवार को वारंगल ज़िले के वेंकटादरी गाँव में हुई जहाँ रमेश नाम के एक खेत मज़दूर ने आत्महत्या कर ली. उस के परिवार वालों का आरोप है कि उसे एक माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनी के लोग ऋण की वापसी के लिए परेशान कर रहे थे.
ऐसी ही एक घटना गुरुवार कड़प्पा ज़िले में हुई जहाँ वेल्लम्वारिपल्ली गाँव के एक किसान रमन्ना रेड्डी ने कीटनाशक दवा पीकर आत्महत्या कर ली. उसने दो अलग अलग कंपनियों से तीस हज़ार रुपये का ऋण लिया था लेकिन उसे वापस अदा नहीं कर पा रहा था.

अनंतपुर ज़िले में भी एक कंपनी के कर्मचारियों ने उन लोगों के घरों में तोड़फोड़ की जो ऋण वापस नहीं कर पा रहे थे.
ऐसी ही एक कार्रवाई के जवाब में खम्मम जिले में कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनी के कार्यालय पर धावा बोल दिया और वहां तोड़फोड़ की.

नए नियम


ग्रामीण विकास मंत्री वसंता कुमार ने कहा है कि इस अध्यादेश के पारित होने के साथ ही अब केवल उन्हीं माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनियों को राज्य में काम करने की अनुमति होगी जो अपना पंजीकरण करवाएँगीं.
इस अध्यादेश के अलावा कर्ज़ के बोझ तले दबे लोगों, विशेषकर महिलाओं के स्व-सहायता समूहों की मदद के लिए सरकार एक नई योजना बना रही है
वी वसंता कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री
इसके लिए उन्हें तीस दिन का समय दिया गया है.
अध्यादेश के अंतर्गत इन कंपनियों को अपने कार्यालय में एक बोर्ड पर यह साफ़ लिखना होगा की वे किस ब्याज़ दर पर ऋण दे रहे हैं और ऋण लेने वाले पर कितना बोझ पड़ने वाला है.

इन कंपनियों पर आरोप है कि वो ऋण लेने वाले ग्रामीण ग़रीबों और महिलाओं को स्पष्ट रूप से नहीं बताते कि कुल मिलाकर उन्हें कितना प्रतिशत ब्याज़ देना होगा.
आरोप है कि कई कंपनियाँ तो 30 से 50 प्रतिशत तक ब्याज़ लेती हैं.

सरकार ने अपनी ओर से इन संस्थानों के लिए ब्याज़ दरों की कोई सीमा तय नहीं की है. मंत्री वसंता कुमार का कहना था कि यह राज्य सरकार के दायरे से बाहर है.
वसंता कुमार ने बताया, "इस अध्यादेश के अलावा कर्ज़ के बोझ तले दबे लोगों, विशेषकर महिलाओं के स्व-सहायता समूहों की मदद के लिए सरकार एक नई योजना बना रही है."
इसके अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से कहा जाएगा कि वो महिलाओं के समूहों को ऋण दें ताकि वो माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनियों का ऋण वापस लौटा सकें.
इन बैंकों की ब्याज़ दर माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनियों से कम होंगीं.
अगर बैंक यह सुझाव स्वीकार कर लेते हैं तो फिर उन्हें महिलाओं के समूहों को 9600 करोड़ रुपए के ऋण देने होंगे क्योंकि माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनियों को इन ग्रामीणों से इतना ही ऋण वसूल करना है.
आंध्र प्रदेश में एक करोड़ से भी ज़्यादा महिलाएँ स्व-सहायता समूहों की सदस्य हैं.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद पी मधु का कहना है कि इन समूहों को बैंकों से कर्ज़ न मिलने की वजह से ही वे माइक्रो फ़ाइनैंस कंपनियों से कर्ज़ लेने को मज़बूर हुए हैं.
उनका कहना है कि इन समूहों को 12 से 15 हज़ार करोड़ रुपए मिलने चाहिए जबकि सरकार सिर्फ़ 11 सौ करोड़ रुपए उपलब्ध करवा रही है

1 टिप्पणी:

  1. ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि कम्प्यूटर नेटवर्कों पर हमले ब्रिटेन के लिए सबसे बड़े ख़तरों में से एक हैं.

    साइबर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त 50 करोड़ पाउंड दिए जाएँगे. विदेश सचिव विलियम हेग ने कहा है कि अगर इस ख़तरे से निपटा नहीं गया तो ये ब्रिटेन के आर्थिक ताने बाने को बिगाड़ सकता है.

    मंगलवार को रक्षा बजट पर पुनर्विचार होना है और कहा जा रहा है कि अगले चार वर्षों के दौरान रक्षा बजट में आठ फ़ीसदी की कटौती हो सकती है.

    इसके अलावा बुधवार को ब्रिटेन में खर्च को लेकर भी विचार होना है जिसमें रक्षा मंत्रालाय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय सबके बजट में कटौती की आशंका है.

    ब्रिटेन को होने वाले ख़तरों को 16 श्रेणियों में बाँटा गया है. नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति रिपोर्ट में पहली श्रेणी में साइबर अपराध, आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई सैन्य समस्या जिसका असर ब्रिटेन पर भी हो और फ़्लू जैसी महामारी को गिना गया है.

    दूसरी श्रेणी में विनाशकारी हथियारों से ब्रिटेन पर हमला या संगठित अपराध में बढ़ोतरी को रखा गया है.

    बीबीसी के रक्षा मामलों के संवाददाता फ़्रैंक गार्डनर का कहना है कि साइबर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पैसा इस जानकारी के बाद आया है कि सैकड़ों ई-मेल ऐसी हैं जो सरकारी कम्प्यूटर नेटवर्क को निशाना बना रही हैं

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